शनिवार, 26 सितंबर 2009

आख़िर क्यो भागती है घर से लड़किया

मै पुष्पा के घर बेठी थी । उसकी बेटी प्राची गरबे के लिए रानी कलर की साड़ी सेलेक्ट कर रही थी , पुष्प मुझे बोली आज तुम भी चलना प्राची का गरबा देखने , प्राची बहुत आचा गरबा करती है । तुम तो जानती हो प्राची को उसके पिता कही आने जाने नही देते , बड़ी मुश्किल से धर्म के नाम पर उसे गरबे करने की स्वीकृति मिली है वो भी इस शर्त पर की मुझे रोज़ उसे साथ लान और ले जाना होगा । पिछले साल पड़ोस के गुप्ताजी की लड़की पूनम घर से भाग गई थी , बस बड़ा हंगामा किया इन्होने प्राची पर भी ढेर साडी पाबंदिया लगा दी । उसका कॉलेज ट्यूशन सब बंद करवा दी इसलिए प्राइवेट परीक्षा दे रही है ।
पुष्पा अपने पति पड़ोस के गुप्ता जी और उनकी बेटी पूनम के बारे मेऔर भी कई बातें बता रही थी , परन्तु मेरा ध्यान कही ओर था की आखिर यही कारण है की एक बेटी अपना सब कुछ किसी एक के लिए छोड़ कर घर से भाग जाती है फ़िर अंजाम चाहे अच्छा हो या बुरा ।
मुझे आज भी याद है मेरी सहेली सरिता जो मेरे साथ कॉलेज मे पड़ती थी और बगावत कर अपने मोहल्ले के एक लड़के के साथ भाग कर शादी कर ली थी , जबकि उस वक्त लड़का कुछ कमाता भी नही था । सरिता जब पड़ती थी तब दबी दबी रहने वाली कम बोलने वाली एक साधारण सी लड़की थी जिसे कॉलेज के गेट तक उसे उसका भाई छोड़ने और लेने आता था , सरिता को किसी सहेली के घर जाने की इजाज़त भी नही थी और जाना भी हो तो भाई साथ जाता था । दरवाजे पर खड़ी वो जोर जोर से हस भी नही सकती थी , घर मे उसे हमेहा डाट फटकर ही मिलती थी । पढने मे तेज़ सरिता को हर वक्त घर का काम ही करना पड़ता था बड़ी मुश्किल से वो पढ़ाई का समय निकल पति थी । पिता से उसकी बात चित बहुत ही कम होती थी । जो भी उसे पिता से कहना हो या उसकी आवश्यकता हो वो माँ ही के मध्यम से होती थी । सरिता को कभी अपने माँ बाप का प्यार नही मिला , सब कुछ आधा अधुरा ही मिलता , वो अपने भाई से अधिक नम्बर लती परन्तु घर मे कभी उसकी तारीफ नही होती दो प्यार के बोल और प्रोत्साहन की कमी सरिता की हमेशा महसूस होती और महसूस होता पाने परिवार का अविश्वास । घर पहुचने मे कुछ समय की देरी ही उस पर ढेर सरे प्रश्नों की बौछार कर देती । माँ की आँखों मे छुपे सवाल और पिता के चेहरे का गुस्सा उसके अन्दर तक सिहरन पैदा कर देता ।
वो रोज़ एक अपराधिनी की तरह घर मे प्रवेश करती , एक सुबह सरिता ने सारे बंधन तोड़ दिए और चली गई सब कुछ छोड़ कर । हर वर्ष न जाने कितनी सरिताये अपने घर का सुख चैन छोड़ कर अपने माँ बाप और परिवार के लिए बदनामी का एक दाग छोड़कर घर से भाग जाती है । बार इतनी ही नही घर बेटियों को हमेशा परजीवी बनते है हम उसे एक बेल की तरह सहारे से चड़ने की आदत डालते है घर मे जब बेटी कोई अपने भाई की तरह लाड प्यार और दुलार नही मिलता तब वी एसा अनुचित कदम उठती है । बेटे की तरह बेटी की परवरिश की जाए उसे आचे बुरे की समझ सिखाई जाए , बेटे की तरह अगर उसे भी रोज़ सुबह सर पे हाथ फेर कर उठाया जाए । वरना बहरी व्यक्ति का थोड़ा सा प्रेम और दुलार उसे आकर्षित कर सकता है और वो उसकी तरफ़ खिची चली जायेगी । परन्तु जन उसे अपनों से भरपूर प्रेम और दुलार मिलेगा तो वो एसा कदम उठाने से पहले दस बार सोचेगी । हमारी बेटी हमारे प्यार और स्पर्श को चाहती है वो उसे यद् माँ बात , भाई बहन , दादा दादी से मिलेगा तो वो भर किसी के प्रेम की अभिलाषी नही होगी ।
प्राची का गरबा ख़त्म हो गया था परन्तु मुझे लगा था की प्राची को भी अपने पिता के प्रेम और विश्वास की आवश्यकता है और फ़िर आखिर बेटियों को भी सोचना पड़ेगा की उनके द्वारा उठाया गया एक ग़लत कदम न जाने कितनी बेटियों पर अप्रत्याशित रूप से प्रतिबन्ध लगा देगा । जरुरत है बेटियों के प्रति अपने परिवार मे प्रेम और विश्वास की अगर आप उन्हें आप स्वयं खुला आसमान नही देंगे , उन्हें पूर्ण रूप से स्वतंत्र उड़ना नही सिखायेंगे तो फ़िर कभी कोई सरिता घर से नही भागेगी ।

7 टिप्‍पणियां:

  1. rightly said.yahi hai problem ki apne khoon par hi yakeen nahi karte log to bharosa kamjor hota hi hai.
    aapka swagat hai is nai duniya mey.
    Dr.Nhoopendra

    जवाब देंहटाएं
  2. pahli bat yadi ladki apne psand ka sathi chun leti hai aur uske sath chli jati hai to ise badnami ke roop mein liya jana hi galat hai.doosri bat aapnney bhut sahi kaha ghar mein ladki ke sath ladki hi kyon bahu ke sath bhi jaisa vyvhar dhekhne susne ko milta hai shayed gulamon ke sath kiya jane wala vyvhar hota hai. main yhan siraf hindu samaj ki bat karna chahoonga.hamare pas koi smgr jeevan darshan hi nahin bacha. ANDHAPAN IS DESH MEIN KOI ROG NAHIN EK DARSHAN BAN CHUKA HAI. IS MUDHE PAR BAHAS AAJ KI JAROORAT HAI.aapko badai aapne initiative liya hai jari rakhiye.

    जवाब देंहटाएं
  3. स्वागत है
    आप यह क्यों कह रही हैं कि केवल लड़कियां ही भागती हैं क्या उनके साथ लड़के नहीं भागते।यह अलग बात है कि लड़के कम बदनाम होते हैं व लड़को के घरवालेजल्द सहमत हो जाते हैं।हां यह इस समस्या का एक सशक्त पहलू तो है,मगर एक यही कारण नहीं ३० साल के चिकित्सीय अनुभव से मैं ऐसे भी किस्सों को जानता हूं जो खूब आजादी मिलने पर भी लड़के व लड़कियों ने यह कदम उठाए
    जब तक समाज में arranged maarriage रहेंगी तब तक यह चलेगा
    पर यह बैरी word veri तो हटाएं ,
    वरना टिपण्णीकार भाग जाएं

    श्याम सखा

    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी बात सही है लेकिन एक बात कहना चाहुंगा कि लड़कियां जो करती है वो सही तो नहीं है लेकिन जब रबर की बाल को दबाया जाता है तो वो उतनी ही तेजी से ताकत लगाती है छूटने को,इसी वजह से सभी को अपनी बेटियों को संस्कारों को में रखकर छूट देनी चाहिये, चाकि वो बातों को समझें

    जवाब देंहटाएं
  5. सराहनीय प्रयास है..आगे मुद्दे और भी हैं उठाते रहिये...

    जवाब देंहटाएं
  6. चिटठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है. लेखन के द्वारा बहुत कुछ सार्थक करें, मेरी शुभकामनाएं.
    ---

    ---
    हिंदी ब्लोग्स में पहली बार Friends With Benefits - रिश्तों की एक नई तान (FWB) [बहस] [उल्टा तीर]

    जवाब देंहटाएं